Fish oil Side Effects In Hindi
2022 में 350 पेज की एक रिपोर्ट पब्लिश हुई | इसके अनुसार फिश ऑयल का 2022 में ग्लोबल मार्केट साइज 12.3 बिलियन डॉलर का है| जो 2032 तक बढ़कर 23.8 बिलियन डॉलर हो जाएगी| यह 6.8% के कागर से बढ़ रही है|[sorce]
परंतु यह कितना हेल्दी है? क्या इसे लेना चाहिए? कितनी मात्रा लिया जा सकता है? और इसके फायदे और नुकसान क्या है? और कौन से स्रोत हैं जो जिससे लेना सेफ है?
इन्हीं बातों पर आज के इस लेख में चर्चा होगी| आज हम लोग 100000 Ton फिश ऑयल प्रत्येक साल कंज्यूम कर जाते हैं|
परंतु साइंस क्या कहता है क्या फिश ऑयल के बेनिफिट्स को जैसे शोर करके बताया गया है या वैसा ही है या एक झूठी कहानी है?
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में एक रिपोर्ट पब्लिश हुआ। इसमें ओमेगा 3 के प्रभाव का अध्ययन किया गया। ओमेगा 3 के जीवन अवधि, कार्डियक डेथ, सडन डेथ, हार्ट अटैक, स्ट्रोक इत्यादि पर प्रभाव का अध्ययन किया गया था।
इन सारी बीमारियों से होने वाली ओमेगा 3 का कोई भी प्रभाव देखने को नहीं मिला फिर इतना अधिक ओमेगा 3 के नाम पर फीस तेल और इसके सप्लीमेंट की अंधा सेवन क्यों कहां से आया है यह आइडिया की ओमेगा 3 फैटी फिश एंड फिश ऑयल सप्लीमेंट्स हमारे लिए अच्छे हैं|
इसके लिए हमें 1980 के डी ए आर टी रिसर्च का विश्लेषण करना होगा।
DART ट्रायल के अनुसार जिन लोगों को फैटी फिश खाने की सलाह दी गई उनकी मोर्टालिटी का खतरा 29% घट गया फिर क्या था दुनिया फिश ऑयल और इसके सप्लीमेंट के पीछे पागल हो गई कंपनियों ने बड़ा बिजनेस बना दिया और जमकर प्रमोशन किया गया।
नतीजा उल्टा आया जिन लोगों को ओली फिश खास कर फिश ऑयल कैप्सूल खाने की सलाह दी गई उनमें कार्डियक डेथ की काफी अधिक चांस हो गए थे।
इन सारे अध्ययन के आधार पर रिसर्च करने वालों ने कनक्लूड किया की फीस तेल रोज लेने के कोई जस्टिफिकेशन नहीं है।
Bleeding (Fish oil Side Effects In Hindi)
एक रिसर्च हुआ जिसमें 56 लोगों को 640 mg फिश ऑयल प्रत्येक को 04 सप्ताह के लिए दिया गया। रिजल्ट बाद ही शॉपिंग था इन लोगों को ब्लड क्लॉटिंग काम हो गया ब्लड क्लॉटिंग कम होने या रक्त का थक्का न जमने से मसूड़े और नाक से ब्लीडिंग बढ़ गया।
एक और छोटे से अध्ययन में पता चला कि 1 से 5 ग्राम फिश ऑयल बली लेने पर नोज बिल्डिंग का खतरा 72% बढ़ जाता है ऐसे में सर्जरी के दौरान फिश ऑयल लेने से परहेज किया जाता है।
Blood Sugar
फिश ऑयल का ब्लड शुगर लेवल पर प्रभाव का अध्ययन करने के लिए कुछ रिसर्च हुए।
एक रिसर्च के अनुसार जिन लोगों ने 8 ग्राम प्रतिदिन ओमेगा 3 फैटी एसिड का 8 सप्ताह तक के लिए सेवन किया उनका फास्टिंग प्लाजमा ग्लूकोस लेवल 22% तथा भोजन के बाद का ग्लूकोस लेवल 35% बढ़कर आया।[1]
ऐसे में फिश ऑयल का सेवन उन लोगों के लिए काफी खतरनाक हो जाता है जिनका पहले से ही शुगर या डायबिटीज की बीमारी है।
ऐसे लोगों को अपने डॉक्टर से प्रॉपर सलाह लेकर ही इसका सेवन शुरू करना चाहिए।
Diarrhea
यदि आप फिश ऑयल का लगातार प्रयोग कर रहे हैं तो डायरिया एक आम side effects हो सकता है।
यह बहुत ही बड़ा साइड इफेक्ट है। यह तब ज्यादा समस्या करता है, जब फिश ऑयल का सेवन ज्यादा मात्रा में किया जाए।
आप यूं कहें कि डायरिया इसका सबसे बड़ा साइड इफेक्ट है। [1]
यदि आप पहले से ही किसी Digestive प्रॉब्लम से सफर कर रहे हैं, तो फिश ऑयल इस समस्या को काफी बढ़ा सकता है।
क्योंकि इसके सेवन से पेट फूलना और गैस बनने की भी समस्या काफी बढ़ जाती है।
ऐसे में आप अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
Low Blood Pressure
आज इस बात के काफी स्ट्रांग प्रूफ है कि फिश ऑयल के रेगुलर उपयोग से ब्लड प्रेशर कम होता है।
90 लोग जो डायलिसिस पर थे उन पर एक अध्ययन हुआ उन्हें तीन ग्राम ओमेगा 3 फैटी एसिड दिया गया
उन लोगों के ब्लड प्रेशर में काफी अधिक सुधार देखने को मिला।
यह साइड इफेक्ट उन लोगों के लिए बेनिफिशियल है जो हाई ब्लड प्रेशर से गुजर रहे हैं।
यदि आप अपने ब्लड प्रेशर के लिए पहले से ही कोई दवा ले रहे हैं तो बेहतर होगा कि आप अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य ले ले।
Acid Reflux
Acid Reflux एक पाचन से संबंधित बीमारी है जिसमें स्टमक का एसिड और Bile फूड पाइप को इरिटेट करता है।
बहुत सारे लोग फिश ऑयल सप्लीमेंट्स लेते हैं और हार्टबर्न का अनुभव करते हैं| [2]
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसमें फैट का मात्रा काफी अधिक होता है जिससे पचना मुश्किल होता है इन फैक्ट बहुत सारे स्टडी में यह पता चला है की फैट का अत्यधिक सेवन इन डाइजेशन को बढ़ाता है।
यहां एक बात नोट करने लायक है कि यदि आप फिश ऑयल का मॉडरेट डोज खाने के साथ लेते हैं तो इस परेशानी से बच सकते हैं।
Stroke
बहुत सारे स्टडीज में यह बात प्रूफ हो चुकी है कि ओमेगा 3 फैटी एसिड रक्त के थक्का जमने के गुण को कम कर देता है।
जिस कारण, फिश ऑयल सप्लीमेंट्स के अत्यधिक सेवन से स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।[3,4]
हालांकि बाद के कुछ अध्ययन मिक्स रिजल्ट देते हैं। और स्ट्रोक के खतरे से इनकार करते हैं।[5]
अभी तक इसको लेकर जो भी अध्ययन हुए हैं वह सभी Animals पर हुए हैं।
आगे यदि ह्यूमन ट्रायल्स होते हैं तो हमें ज्यादा बेहतर और एक्यूरेट रिजल्ट देखने को मिलेंगे।
Insomnia
395 बच्चों पर एक अध्ययन हुआ इन बच्चों को 600 मिलीग्राम ओमेगा 3 फैटी एसिड प्रत्येक दिन 16 सप्ताह तक दिया गया।[6]
इस अध्ययन के अनुसार उन बच्चों का Sleep Quality काफी improve पाया गया।
परंतु इसी से रिलेटेड कुछ स्टडी हुई।
जिसे पाया गया कि जिन लोगों को पहले से Anxiety और डिप्रेशन की समस्या थी। उनका फिश ऑयल का अत्यधिक सेवन से यह समस्या बढ़ गई।
Perfect Dose
ज्यादातर हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन 250 mg -500 mg Combined EPA और DHA को Recomend करते हैं।
यदि आप whole फिश का सेवन करते हैं तो प्रत्येक सप्ताह 02 serving फैटी फिश का सेवन कर सकते हैं।
कुछ स्पेशल केस में डॉक्टर इससे अधिक मात्रा रिकमेंड कर सकते हैं इसके लिए आप अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
Conclusion -Disadvantage Of Fish Oil In Hindi
ओमेगा 3 फैटी एसिड हमारे डाइट का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
और इसके काफी अधिक हेल्थ बेनिफिट्स है।
परंतु इसका अत्यधिक मात्रा में सेवन स्वास्थ संबंधी कई समस्याएं पैदा कर सकता है, जैसे हाई ब्लड शुगर और स्ट्रोक।
ऐसे में जो भी डोज आपके डॉक्टर रिकमेंड करते हैं उसे ले।
हमेशा कोशिश करें कि आप नेचुरल Source से ही इस न्यूट्रिएंट्स की पूर्ति करें। whole फूड सबसे बेस्ट सोर्स होता है क्योंकि इससे और भी बहुत सारे न्यूट्रीशनल वैल्यू आपको मिलेंगे।
Read More
Balo Me Haldi Lagane Ke Fayde | Balo Me Haldi Lagane Ke Benefits In Hindi
kya fish oil garam hota hai?
यह बहुत गर्म होती है और अधिक सेवन से आपकी नाक से खून भी निकल सकता है ।
मछली का तेल किसे नहीं लेना चाहिए?
इसी से रिलेटेड कुछ स्टडी हुई। जिसे पाया गया कि जिन लोगों को पहले से Anxiety और डिप्रेशन की समस्या थी। उनका फिश ऑयल का अत्यधिक सेवन से यह समस्या बढ़ गई।
मछली का तेल कौन सी बीमारी में काम आता है?
दिल की सेहत के लिए फायदेमंद, DART ट्रायल के अनुसार जिन लोगों को फैटी फिश खाने की सलाह दी गई उनकी मोर्टालिटी का खतरा 29% घट गया|
Source
https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/2707115/
https://www.sciencedirect.com/science/article/abs/pii/S002234760581666X
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4548432/
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3875260/